बलूचिस्तान में कबीलाई पंचायत के फैसले पर प्रेमी जोड़े की हत्या, सरकार ने की सख्त कार्रवाई की घोषणा

बलूचिस्तान में कबीलाई पंचायत के फैसले पर प्रेमी जोड़े की हत्या, सरकार ने की सख्त कार्रवाई की घोषणा

क्वेटा, 21 जुलाई 2025 अली इमरान चठ्ठा

बलूचिस्तान के क्वेटा के पास स्थित डेघारी गांव में एक नवविवाहित जोड़े — बानो बीबी और अहसान उल्लाह — की दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह ऑनर किलिंग का मामला है, जिसकी एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है।

वीडियो में बानो बीबी, हाथ में पवित्र कुरान लिए हुए, ब्राहवी भाषा में कातिल से कहती है:

"सात कदम चलो... फिर मुझे गोली मार देना।"

परन्तु उसकी विनती ठुकरा दी जाती है। कुछ ही सेकंड में, उसे और अहसान को करीब से गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया जाता है

कबीलाई पंचायत का आदेश और सरकार की प्रतिक्रिया

बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सर्फराज बुगटी ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा:

"यह कोई वैवाहिक संबंध नहीं था। यह तो एक ठंडे दिमाग से की गई, पूर्व-नियोजित हत्या थी जो परंपरा के नाम पर की गई।"

उन्होंने बताया कि यह हत्या एक गैरकानूनी कबीलाई जिरगा (पंचायत) के आदेश पर की गई, जबकि पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने जिरगाओं को प्रतिबंधित कर रखा है।

सरकार ने एफआईआर दर्ज कर ली है, और अब तक 11 आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। मस्तुंग, कलात और खुजदार जिलों में छापेमारी जारी है, जहां से अन्य दोषियों — जिनमें कुछ कबीलाई मुखिया भी हैं — की तलाश की जा रही है।

ऑनर किलिंग की बढ़ती घटनाएं

ह्यूमन राइट्स कमीशन ऑफ पाकिस्तान (HRCP) के अनुसार, 2024 में कुल 405 ऑनर किलिंग के मामले सामने आए थे, जिनमें से 32 बलूचिस्तान से थे। विशेषज्ञों का मानना है कि गांवों और कबीलाई इलाकों में अनेक मामले अनरिपोर्टेड रह जाते हैं।

हालांकि पीड़ितों के परिवार ने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है, लेकिन प्रांतीय सरकार ने स्वत: संज्ञान लेते हुए केस को आगे बढ़ाया है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा

इस वीडियो के सामने आने के बाद मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया की ओर से तीखी प्रतिक्रिया आई:

  • एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसे "क्रूर और लैंगिक अन्याय की गहरी जड़" बताया।

  • UN Women Pakistan ने पितृसत्तात्मक परंपराओं को खत्म करने की मांग की।

  • BBC, रॉयटर्स, AP और अल जज़ीरा जैसी संस्थाओं ने पाकिस्तान में कानून व्यवस्था की विफलता पर सवाल उठाए।

कानूनी और सामाजिक असर


विधि विशेषज्ञों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि जब तक सरकार इन समानांतर न्यायिक प्रणालियों को बंद नहीं करती, महिलाओं की जान और स्वतंत्रता हमेशा खतरे में रहेगी

प्रसिद्ध मानवाधिकार वकील जिब्रान नासिर ने कहा:

"बलूचिस्तान में जो हुआ, वह न्याय नहीं था — वह संस्कृति के नाम पर चल रही अराजकता थी।"

निष्कर्ष: न्याय की पुकार

बलूचिस्तान सरकार ने भरोसा दिलाया है कि इस मामले को अंजाम तक पहुँचाया जाएगा और कोई परंपरा कानून से ऊपर नहीं मानी जाएगी।

"हमें बानो और अहसान की याद को मिटने नहीं देना चाहिए। उनकी कहानी आखिरी होनी चाहिए,"
HRCP द्वारा जारी बयान में कहा गया।



Posted By: TAJEEMNOOR KAUR