बिजली संशोधन बिल–2025 के विरोध में 8 दिसंबर को पावरकॉम दफ़्तरों के बाहर बड़े धरने

बिजली संशोधन बिल–2025 के विरोध में 8 दिसंबर को पावरकॉम दफ़्तरों के बाहर बड़े धरने

गुरदासपुर, 4 दिसंबर 2025, सुरजीत सिंह खालसा
 

संयुक्त किसान मोर्चा, पावरकॉम संगठनों और मज़दूर यूनियनों ने घोषणा की है कि 8 दिसंबर को पूरे पंजाब में पावरकॉम की सब-डिवीज़न दफ़्तरों के बाहर दोपहर 12 बजे से 3 बजे तक बड़े पैमाने पर धरने दिए जाएंगे। विरोध के रूप में बिजली संशोधन बिल–2025 की प्रतियाँ भी जलाई जाएँगी।
गुरदासपुर स्थित शहीद बलजीत सिंह भवन में इस संबंध में एक बड़ी बैठक हुई, जिसमें किसान, मज़दूर और बिजली कर्मचारियों के सभी प्रमुख संगठनों के नेता शामिल हुए। बैठक की अध्यक्षता बीकेयू कादियाँ के नेता गुरदीप सिंह मुस्तफ़ाबाद और पावरकॉम संगठनों के नेता गुरवेल सिंह बलपुरिया ने संयुक्त रूप से की।
बैठक को संबोधित करते हुए विभिन्न किसान और मज़दूर नेताओं—जैसे मख़न सिंह कुहार, सुखदेव सिंह भागोकालां, तरलोक सिंह बहिरामपुर, लखविंदर सिंह मंझियावाली, जगजीत सिंह अलूणा, राज गुरविंदर सिंह लाड़ी आदि—ने कहा कि बिजली संशोधन बिल–2025 आम जनता के हितों के खिलाफ़ और बेहद खतरनाक है।
नेताओं के अनुसार बिल के प्रमुख नकारात्मक प्रभाव ये होंगे:
• बिजली वितरण का निजीकरण
• मोबाइल रिचार्ज की तरह प्रीपेड बिजली व्यवस्था
• हर मीटर में चिप लगाकर निगरानी
• सब्सिडियों का पूरी तरह समाप्त होना
• किसानों की मोटरों पर मीटर लगाना
• गरीब परिवारों से मुफ्त सहायता वापस लेना
नेताओं ने कहा कि यह बिल गरीब और मध्यम वर्ग पर भारी आर्थिक बोझ डालेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि पंजाब सरकार ने अभी तक इस बिल के विरोध में कोई स्पष्ट कदम नहीं उठाया है। चेतावनी दी गई कि यदि सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर बिल के खिलाफ़ प्रस्ताव पास नहीं करती, तो सरकार के ख़िलाफ़ बड़ा आंदोलन चलाया जाएगा।
8 दिसंबर को जिन स्थानों पर धरने होंगे उनमें गुरदासपुर, बटाला, कलानौर, डेरा बाबा नानक, फ़तेहगढ़ चूरियाँ, कादियाँ, श्री हरगोबिंदपुर, बहिरामपुर, दीना नगर, जौड़ा छतरा और काहनूवान सहित सभी सब-डिवीज़न दफ़्तर शामिल हैं।
नेताओं ने उपभोक्ताओं, किसानों, मज़दूरों और जन–हितैषी संगठनों से इस आंदोलन में शामिल होने की अपील की।
बैठक में एक प्रस्ताव पास कर मज़दूर-विरोधी चार श्रम कोडों का विरोध, ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों के संघर्ष का समर्थन और गुरदासपुर से बटाला लेबर ऑफ़िस शिफ़्ट करने के फ़ैसले का विरोध भी किया गया।

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